Karun Nair Education:भारतीय क्रिकेट में कई खिलाडी ऐसे रहे हैं जिन्होंने अपने खेल से सबका दिल जीत लिया। उन्हीं में से एक हैं करुण नायर, जिन्होंने सिर्फ अपने खेल से ही नहीं, बल्कि अपनी शिक्षा से जुड़ी खास बातों से भी लोगों का ध्यान खींचा है। आज हम बात करेंगे करुण नायर की शैक्षणिक पृष्ट्भूमि और उन अनसुनी बातों की जो शायद ही आप पहले सुनी हों
करुण नायर का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:-
- प्रांभिक शिक्षा: उन्होंने चिन्मय विद्यालय में अपनी पढ़ाई की, जहाँ उनकी माँ भी शिक्षिका थीं। जहाँ उनकी माँ ने चौथी कक्षा तक पढ़ाया।
- करुण नायर का जन्म 6 दिसंबर 1991 को जोधपुर, राजस्थान में हुवा था। हालांकि उसका परिवार मूल रूप से केरल से है। उनके पिता एक व्यवसायिक व्यक्ति हैं और माँ शिक्षिका थीं। शिक्षा को लेकर उनके परिवार का हमेशा से ही गंभीर रवैया रहा है। शायद यही वजह है की करुण नायर पढ़ाई में भी अव्वल रहे।Karun Nair Education
- करुण नायर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जॉन बेस्को, बैंगलोर से पूरी की। यहीं से उन्होंने क्रिकेट खेलना भी शुरू किया। स्कूल स्तर पर उन्होंने कई टूर्नामेंट्स में हिस्सा लिया और अपनी प्रतिभा से आगे की ओर बढ़ता गया।
कॉलेज शिक्षा: क्रिकेट ओर पढ़ाई का संतुलन:-
- Karun Nair Education करुण नायर ने बैंगलोर के प्रतिष्ठित जैन यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रेडुएशन पूरी की। जैन यूनिवर्सिटी न सिर्फ शिक्षा के लिए जानी जाती है, बल्कि वहां के खेल कार्यक्रम भी बहुत लोकप्रिय हैं। यही वजह है कि करुण ने यहां एड्मिशन लिया ताकि वह पढ़ाई और क्रिकेट दोनों को समान रूप से समय दे सकें।
- कॉलेज के दिनों में उन्होंने कई रास्ट्रीय और अंतररास्ट्रीय अंडर-19 प्रतियोगिताओं में भी लिया। लेकिन उन्होंने कभी भी पढ़ाई को नजरअंदाज नहीं क्या। उनके शिक्षकों के अनुसार, करुण हमेशा क्लास में समय पर आते थे और असाइमेंट भी सही समय पर जमा करते थे।
- वह कई भाषाओ में धाराप्रवाह हैं: अंग्रेजी, हिंदी, मलयालम, कन्नड़ और तमिल। उनकी मातृभाषा मलयालम है।
क्रिकेट करियर में शिक्षा की भूमिका:-
करुण नायर का मानना है कि शिक्षा ने उन्हें अनुशासन और मानसिक मजबूती सिखाई है, जो कि खिलाडी के लिए बेहद जरुरी होता है। जब उन्होंने 2016 में इंग्लैंड के खिलाफ तिहरा शतक लगाया, तो वह भारत के सिर्फ दूसरे बल्लेबाज बने जिन्होंने तेसर क्रिकेट में यह उपलब्धि हासिल की। इस सफलता के पीछे उनका अनुशासन और संतुलित सोच थी, जो उन्हें शिक्षा से मिली।
निष्कर्ष:-
करुण नायर की कहानी यह बताती है कि पढ़ाई और खेल दोनों साथ-साथ चल सकता है अगर लगन और अनुशासन हो। आज के युवाओ के लिए करुण एक प्रेरणा हैं, जो दिखते हैं कि सफलता सिर्फ मैदान में नहीं, बल्कि कक्षा में भी मिलता है। अगर आप भी क्रिकेट और शिक्षा को साथ लेकर चलना चाहते हैं, तो करुण नायर से बेहतर उदाहरण और कोई नहीं हो सकता।